लेखनी कहानी -21-Jul-2022
अच्छा एक बात कहनी थी ,
नाराज हो आज भी या खामोशी तुम्हें अच्छी लगने लगी हैं,
मेरे खत आज भी डाकिया वापस ले आता हैं,
शायद मेरा खत तुम तक नहीं पहुंच पाता हैं,
कल शाम चांद को देखकर तुम्हें ही याद कर रहीं थीं,
खो जाने के डर से खुद को तुम्हारी यादों से दूर कर रही थी,
अच्छा एक बात कहनी थी,
एक परिवार हैं मेरे मोहल्ले में शायद जानते हो तुम,
वहां रहने वाले बच्चे आज भी पूछते हैं कि भैय्या अब क्यु नहीं आते,
उनको समझा भुजा दिया पर सच कहूँ
रोज रोज झूठ नहीं बोला जाता,
अच्छा एक बात कहनी थी,
तुम मुझसे मिलने मत आना,
छुपकर आना और उन बच्चों को गले लगा लेना ,
Chetna swrnkar
26-Jul-2022 10:01 AM
Bahut achhi rachana
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Rahman
24-Jul-2022 10:53 PM
Osm
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Saba Rahman
24-Jul-2022 11:33 AM
Nice
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